माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं ||
माँ के पास अश्रु घर तो पिता के पास सैयम होता है ||
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||
कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह मुह से निकलता है , लेकिन रास्ता पार करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||
क्यूकी छोटे छोटे संकटों के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||
पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||
माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं ||
माँ के पास अश्रु घर तो पिता के पास सैयम होता है ||
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||
कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह मुह से निकलता है , लेकिन रास्ता पार करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||
क्यूकी छोटे छोटे संकटों के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||
पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||
माँ के पास अश्रु घर तो पिता के पास सैयम होता है ||
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||
कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह मुह से निकलता है , लेकिन रास्ता पार करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||
क्यूकी छोटे छोटे संकटों के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||
पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||
माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं ||
माँ के पास अश्रु घर तो पिता के पास सैयम होता है ||
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||
कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह मुह से निकलता है , लेकिन रास्ता पार करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||
क्यूकी छोटे छोटे संकटों के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||
पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||
love u dad so much :) :*
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