Wednesday, September 25, 2013

पिता

माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं ||

माँ के पास अश्रु घर तो पिता के  पास सैयम होता है ||

दोनो समय का भोजन  माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||

कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह  मुह  से निकलता है , लेकिन रास्ता पार  करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||

क्यूकी छोटे छोटे संकटों  के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||

पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||
माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते हैं ||

माँ के पास अश्रु घर तो पिता के  पास सैयम होता है ||

दोनो समय का भोजन  माँ बनाती है तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम सहज ही भूल जाते हैं ||

कभी लगी जब ठोकर या चोट तो माँ ह  मुह  से निकलता है , लेकिन रास्ता पार  करते कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो बाप रे यही मुह से निकलता है ||

क्यूकी छोटे छोटे संकटों  के लिए माँ है , पर बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं ||

पिता एक वाट वृक्ष हैं जिसकी शीतल छाया में सम्पूरण परिवार सुख से रहता है ||


1 comment: